यादें

रातें अलग थीं
अलग थीं वोह शामें

अहसास अलग था
अलग थीं वोह गुफ्तुगुएं

था मैं अलग या
अलग था वोह समा

उन एहसासों और उन हक़ीक़तों
के दरमियान क्या हुआ ऐसा
क्या बदला ऐसा जिसकी तलाश में
आज तक हैरान हूँ मैं

कभी ताज्जुब होता है
कभी बदहवासी भी

मैं अलग था या मैं अलग हूँ
मेरे इन दो अलगपनों में ऐसा क्या अलग था

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